राब्यू, इलाहाबाद : सर्वोच्च न्यायालय से समायोजन रद होने के बाद अपने मूल पद पर लौटे एक लाख 37 हजार शिक्षामित्रों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी टीईटी 2017 वास्तव में अग्नि परीक्षा होगी। उन्हें भारांक के रूप में भले ही राज्य सरकार से कुछ राहत मिल जाए लेकिन बीएड और बीटीसी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों से योग्यता की दौड़ में आगे निकलने की डगर काफी कठिन हो सकती है।
टीईटी 2017 परीक्षा में इस बार दस लाख नौ हजार से अधिक अभ्यर्थियों का पंजीकरण हुआ है। यह वे पंजीकृत अभ्यर्थी हैं जिनका शुल्क तय समय पर अदा हुआ है और परीक्षा नियामक प्राधिकारी का भी दावा है कि शुल्क तय समय पर जमा करने वाले ही आवेदक हैं। इस परीक्षा में वे भी अभ्यर्थी आवेदक हैं जिन्होंने 90 नंबर या इससे कुछ अधिक अंकों से ही सही, लेकिन टीईटी परीक्षा 2011 उत्तीर्ण की थी। 72,825 सहायक अध्यापक भर्ती में कट ऑफ के करीब पहुंचे थे लेकिन नियुक्ति नहीं पा सके। इसके बाद भी दो बार हो चुकी टीईटी परीक्षा में शामिल होने और उसमें पूछे जाने वाले प्रश्नों का अनुभव इन्हें हासिल है। वहीं पूर्व की सपा सरकार में समायोजन और प्रशिक्षण के बाद प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त होने के बाद शिक्षामित्रों को शायद यह पता भी नहीं था कि आगे क्या नौबत आने वाली है।