दोस्तों मैं व्यक्तिगत अपने प्रयासों से हारा हूँ न की किसी की रोजी रोटी को छीनने के वजह से हारा हूँ।। जो लोग मेरे खिलाफ दुसप्रचार कर रहे की मैंने 841 को चैलेंज किया है तो जाकर सुप्रीम कोर्ट से मेरा पेपर बुक पता कर लें उसमे मैंने जनरल 90 टेट मार्कस के सिमिलर पैरेलल अपने ग्रीवांस की मांग किया ये मेरा राइट था इसलिए कोर्ट गया दो महीने मात्र 24 लोग के साथ रिट फ़ाइल किया।आज केस 1 बज़ के 15 मिनट पे सुना गया । अधिवक्ता सर ने पूरी बात बहस में रखें गोयल जी हमारे बहस से सन्तुष्ट थे मगर इसके विपरीत ललित जी कुछ सुन्ना ही नहीं चाहते थे। ललित जी हमारा फ़ाइल बेंच से हटा दिएँ मगर अधिवक्ता सर ने तार्किक बात रखे की जब 90 वाला जॉब कर सकता है तो 91 वाला जॉब क्यूँ नहीं कर सकता।इसपर गोयल जी नोटिश इशू करना चाहते थे और फ़ाइल वापस बेंच पे मंगवाए। मगर ललित जी ने कहा कि these matters have been pending in supreme court last b4 2yr an i have been decided few month back. So i m not interested and not interfere these matters .accordingly i hav decided to petitioner counsel to withdra wpc .जिन भाइ ने यह कहा है की मेरे ऊपर जुरमाना लगने से बचा है तो जाकर पता कर लें मेरी याचिका प्रथम सुनवाई में 6 अक्टूबर को स्वीकार हुआ और 9 अक्टूबरर को आज के दिन प्री नोटिश होने से पहले विथ ड्रा हो गया क्योंकि अगर जज को आज के दिन सुन्ना ना होता तो यह याचिका पहले दिन की सुनवाई में डिस्पोज हो गया होता। मैने अपने 24 लोगों के साथ सिर्फ नौकरी पाने के लिए प्रयास किया परन्तु जस्टिस के विधाता ललित सर नहीं चाहते हैं नरसैगिक न्याय मिले। जज हो तो गोयल जैसे जो भले मुझे न्याय न दिला सके मगर दिल जीत लियें।
आज निराश हुआ हूँ 1 हफ्ते से दिल्ली में था सोचा था कुछ उम्मीद जगेगी। मगर शायद इस अथक प्रयासों के पर न लग सके। उम्मीद भले टूटा है पर अंतिम साँस तक हार नहीं मानूँगा।
आप का साथी
त्रिपुरेश पाण्डेय
त्रिपुरेश पाण्डेय